हाँ संवेदनाहीन हूँ मैं
हाँ संवेदनाहीन हूँ मैं
कितना
शायद इतना
कि याद नही है मुझको
कब सिसकियों ने
मांगी थी पनाह
आखिरी बार मुझसे |
ना याद है शायद
वो रुंधा हुआ गला
ना आंख से गुजरा
या ठहरा हुआ
कोई आखिरी आंशू |
कितना
शायद इतना
कि याद नही है मुझको
कब सिसकियों ने
मांगी थी पनाह
आखिरी बार मुझसे |
ना याद है शायद
वो रुंधा हुआ गला
ना आंख से गुजरा
या ठहरा हुआ
कोई आखिरी आंशू |
शायद संवेदनाहीन हूँ मैं
हाँ सच है ये भी
ना रोया था तब
जब खोया था
किसी अपने को मैंने
या खोया था उसको
जिसे अपना कहना
नही आया मुझको |
हाँ सच है,
संवेदनाहीन हूँ मैं |
ना रोया था तब
जब खोया था
किसी अपने को मैंने
या खोया था उसको
जिसे अपना कहना
नही आया मुझको |
हाँ सच है,
संवेदनाहीन हूँ मैं |
हाँ संवेदनाहीन हूँ मैं |........
No comments:
Post a Comment