Tuesday, October 12, 2010

प्रेरणा स्त्रोत ...................


पथरीले पथ पर चलते चलते ,पांवो ने सीख लिया
जीवन पथ पर गिरते गिरते, राही ने मंजिल जीत लिया
संग्राम ज़माने का था, या युद्ध हमारे दिल का
हर विपदा से लडते लडते ,बांहों ने लड़ना सीख लिया

Wednesday, September 22, 2010

कुछ फिर दिल से .................


हम तो अपने दर्द के फ़साने पढते थे ;
शायद ही कभी इश्क की चर्चा करते थे;
किसी की मुस्कराहटो का कुछ हुआ असर ऐसा ;
कि अब तो सिर्फ परवाने इश्क ही गाते नजर आने लगे.........................

धर्म से

तुम कहते हो की हम हिन्दू मुस्लिम भेद करते है ;
जरा नजर उठाओ धर्म के ठेकेदारों ;
हम कुरान
वो वेद पढ़ते है
ये साम्प्रदायिकता तुम नेताओ के चोचले है
हम तो दीवाली में अली ;
रमजान में राम देखते है

इश्क की गलियों से


इश्क की गलियों की सर फरमाइए ;
वक्त की कमी का मत ख्याल कीजिये;
जीने के लिए तो वक्त तो बुत है जनाब ;
बस जनाजे से पहले सेहरे का इंतजाम कीजिये .................