Tuesday, January 12, 2016

हाँ संवेदनाहीन हूँ मैं

हाँ संवेदनाहीन हूँ मैं
हाँ संवेदनाहीन हूँ मैं
कितना
शायद इतना 
कि याद नही है मुझको
कब सिसकियों ने
मांगी थी पनाह
आखिरी बार मुझसे |
ना याद है शायद
वो रुंधा हुआ गला
ना आंख से गुजरा
या ठहरा हुआ
कोई आखिरी आंशू |
शायद संवेदनाहीन हूँ मैं
हाँ सच है ये भी
ना रोया था तब
जब खोया था
किसी अपने को मैंने
या खोया था उसको
जिसे अपना कहना
नही आया मुझको |
हाँ सच है,
संवेदनाहीन हूँ मैं |
हाँ संवेदनाहीन हूँ मैं |........

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