Thursday, January 30, 2014

मैं तेरा हूँ आज भी.....


मैं तेरा हूँ आज भी.....

बहुत से ख्वाब मैंने
टूटते बिखरते देखे है
इन आँखों से 
तुम भी एक हिस्सा हो 
उसी में से किसी एक का
न चाह कर भी ये कड़ी टूट सी गयी थी 
घडी की सुइयां और रातें भी
हमसे रूठ सी गयी थी 
न बदनीयत था मैं 
न मेरी ऑंखें न मेरी बातें 
हाँ बदहवास था मै, 
मेरे जज्बात मेरा प्यार
..............
मै सही था वर्षों से तुम मेरी नही थी कभी 
मै तेरा हूँ आज भी.......
बस एक नया ख्वाब फिर से 
मेरी डायरी कि शोभा बडा रहा है
पुरानो कि तरह पूरा होने के इंतजार में...
..तुम्हारे इंतजार में..... विवेक सचान 

http://www.poemhunter.com/poem/-5097/

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